महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कर रही हैं. जमीन से लेकर आसमान में ही नहीं अंतरिक्ष में भी उनके क़दमों की छाप मौजूद है. जिस तरह से उनका कद बढ़ा है. घर से लेकर दफ्तर में एक महिला के क्या अधिकार होते हैं. महिलाओं के प्रति हम सबकी सोच और नजरिये में पिछले कुछ दशकों में गजब का सकारात्मक बदलाव आया है. पर इन बदलावों का मलतब यह नहीं है कि पुरुष और महिलाएं बराबरी पर पहुंच गए हैं. समानता की यह लड़ाई अभी काफी लंबी चलनी है. दुनिया के कई देशों में आज भी महिलाएं अपने हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रही हैं. जिसमें अपना देश भारत भी शामिल है. इससे बड़ा दुख तो यह है कि आज भी अधिकांश महिलाएं अपने अधिकारों और हक के बारे में सही तरीके से जानती तक नहीं हैं, जबकि होना तो यह चाहिए कि महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी रहनी चाहिए. जिसके लिए पूरे देश को जागरूक होना भी जरूरी है.
बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हम एक आर्थिक और राजनीतिक शक्ति पुंज के रूप में उभर रहे हैं. हमारे संविधान ने हमें जो अधिकार और अवसर दिए हैं उन्हें भी प्रमुखता मिल रही है. आज महिलाएं भी मेहनत कर रही हैं और अपने करियर को लेकर गंभीर हैं. हांलाकि, मानसिक, शारीरिक और यौन उत्पीड़न जीवन का हिस्सा बन गई हैं, लेकिन इस सब पर रोक भी जरूरी हो गयी है.
महिलाओं के हित में सरकार ने कई कड़े कानून बनाए हैं, लेकिन उनके हक अधिकार उन तक नहीं पहुंच पाते या यूँ कहा जाए तो महिलाएं अब भी अपने अधिकार के लिए लड़ रही हैं. पिछले कई सालों में महिलाओं से छेड़छाड़ को रोकने के लिए कई कानून पारित हुए हैं. अगर बनाये गए कानूनों को ध्यान में रखकर. इनका पालन होता तो शहरों में महिलाओं से छेड़खानी के मामले खत्म हो जाने चाहिए थे. हालात ये हैं कि छेड़छाड़ और दुष्कर्म के मामले कम होने के बजाए और भी बढ़ गए हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है महिलाओं की सुरक्षा को लेकर ना सिर्फ शासन प्रसाशन में जागरूकता हो, बल्कि देश के नागरिकों में भी जागरूकता हो.