फुटपाथ पर अतिक्रमण और बदहाल पार्किंग व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त रुख अपना लिया है. साथ ही ये भी कहा कि फुटपाथ पैदल चलने वालों के लिए बने हैं न कि दुकानदारों और पार्किंग के लिए बताते चलें कि राजधानी में फुटपाथ पर अतिक्रमण व बदहाल पार्किंग व्यवस्था को लेकर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 15 दिन में अतिक्रमण हटाया जाना चाहिए. साथ ही राजधानी में पार्किंग व्यवस्था में सुधार के लिए अदालत ने एक माह के भीतर नियम लागू किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि सरकारें और संबंधित एजेंसियां आम लोगों को सार्वजनिक परिवहन मुहैया कराने में विफल रही हैं, जिसके कारण पार्किंग की समस्या बढ़ी है.
वाहनों की बढ़ती संख्या से प्रदूषण और पार्किंग की समस्या बढ़ी है. सिर्फ पार्किंग की बात करें तो समस्या बढ़ती जा रही है. लोगों के चलने के लिए बने फुटपाथ पर गाड़ियां खड़ी रहती हैं. पड़ोसी से पार्किंग को लेकर रोज झगड़ा होता है. यूनिवर्सिटी, स्कूल, अस्पताल या अदालत जैसे संस्थान जब बनाए जाते हैं, तो पार्किंग की तरफ ध्यान कम ही दिया जाता है. जो पहले एक फ्लोर का घर था उस घर में एक गाड़ी होती थी. अब घर आठ फ्लोर का हो गया है और गाड़ियों की संख्या 16 हो गई है लेकिन पार्किंग की जगह कहां है? जिन घरों में पहले गैराज बना था. अब उसे कमरे में तब्दील कर दिया गया है और गाड़ियां सड़क पर खड़ी की जा रही हैं. इस व्यवस्था में सुधार की जरूरत है.
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सभी निगम और कैंट बोर्ड तय करें कि सभी फुटपाथ से अतिक्रमण हटाया जाए. फुटपाथ पैदल चलने वालों के लिए बने हैं और उनपर किसी तरह का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए. जिसने भी फुटपाथ पर कब्जा कर रखा है. उसे 15 दिन का नोटिस देकर अतिक्रमण हटाने को कहा जाए यदि ऐसा नहीं होता है, तो निगम खुद कब्जा हटाए और इसका खर्च अतिक्रमण करने वाले से वसूला जाए. देखा जाए तो देश के 80 प्रतिशत फुटपाथ पर है कहीं दुकानदारों का तो कहीं पार्किंग का कब्जा है. दिल्ली में अतिक्रमण पर डंडा चलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो चुकी है. जिसे देखते हुए सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या पूरे देश की सड़कों पर चलना चाहिए अतिक्रमण पर डंडा? बार-बार बढ़ते अतिक्रमण का आखिर कौन है जिम्मेदार?
कानपुर से नीतिका श्रीवास्तव की रिपोर्ट