जेट एयरवेज ने बधुवार रात को अपनी आखिरी उड़ान अमृतसर से नई दिल्ली के बीच में भरी. जेट एयरवेज ने अपनी सारी सेवाों अस्थाई तौर पर बंद कर दी है. आथिर्क संकट से जूझ रही जेट एयरवेज ने बैकों के समूह से 400 इमरजेंसी फंड मांग था लेकिन बैकों ने मना कर दिया. 8000 हजार करोड़ में डूबी प्राईवेट कम्पनी जेट एयरवेज बोर्ड मीटिंग के बाद यह फैसला लिया गया है.
जेट एयरवेज के बंद होने से करीब 20 हजार से अधिक कर्मचारियों की नौकरी जा सकती है. इसके साथ ही यात्रियों, एयरलाइन के आपूर्तिकर्ताओं का करोड़ों रुपया फंस गया है. जेट एयरवेज के सीईओ ने बताया कि यें फैसला लेने आसान नहीं था लेकिन कर्जदाताओं और अन्य किसी भी स्रोत से इमरजेंसी फंड नहीं मिनले से ईंधन और दूसरी अहम सेवाओं का भुगतान नहीं कर पाने की वजह से एयरलाइन अपने परिचालन को जारी रखने में सक्षम नहीं हो पाएगी. इस वजह से हम अपनी सभी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों को तुरंत प्रभाव से रद्द करने के लिये मजबूर हैं.
जेट एयरवेज के बंद होने का असर सीधा जनता कि जेब पर पड़ेगा. सूत्रों कि माने तो दूसरी एयरलाइंस 10 से 20 प्रतिशत बढ़ने वाली हैं क्योकि अब जेट एयरवेज के यात्री भी दूसरी एयरलाइंस की तरफ रूख करेंगे तो वहीं जिन्होंने ने पहले से जेट एयरवेज में जिन्होंने फ्लाइट बुक करी थी उनका पैस भी रिर्टन होने में समय लग सकता है.
जेट एयरवेज के कर्मचारीयों ने बताया कि एक महीने से वेतन नहीं मिला है. कर्मचारियों ने बताया कि उनके सामने कई तरह की समस्याएं हैं. ज्यादातर कर्मचारी बच्चों की फीस नहीं दे पा रहे. कई कर्मचारी बच्चों का नए सत्र में प्रवेश भी नहीं करवा सके हैं तो कई होम लोन की किस्त नहीं चुका पाए हैं. दर्जनभर कर्मचारियों के कार लोन की किस्त भी अदा नहीं हो पाई हैं.