यूं तो मंदिर घरों में सभी शालिग्राम रखते है लेकिन शालिग्राम का क्या महत्व हैं क्यों इसकी पूजा करनी चाहिये, इसके रखने और सही तरीके से पूजा न करने से इससे लोगो पर क्या फरक पड़ता है। इससे लोग आज भी अनजान है। शंख शालिग्राम जैसी चीजों को घरों में इसीलिये लोग जल्दी नही रखते। जिसके पिछले एक बहुत बड़ा कारण है। शालिग्राम शिला गोलाकार काले रंग के पत्थर का एक दुर्लभ टुकड़ा है जो भगवान विष्णु के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।
हिंदु परंपरा में, शालिग्राम को विशेष रूप से भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता है ।ऐसा कहा जाता है की शालिग्राम नेपाल में गंडकी नदी में या नदी के किनारे पर पाये जाते है। एक लोकप्रिय पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने एक शक्तिशाली शाप को स्वीकार किया था जिससे वे इस पत्थर में तबदील हो गये । इस दैवीय पत्थर के ऊपर शंख गदा चक्र या पद्म के प्रतीक चिन्ह दिखाई देते है। प्रत्येक पत्थर में विशिष्ट क्रम में यह चिन्ह होते है और उनके क्रम के अनुसार उन्हे विभिन्न नामों से जाना जाता है। जैसे जिस शालिग्राम पर शंख चक्र गदा या पद्म के चिन्ह एक क्रम में होते है उसे केशव शालिग्राम कहा जाता है।
ये पढे़ : सोमवती अमावस्या: बन रहा है दुर्लभ संयोग करें ये 5 उपाय, मिलेगा लाभ
आध्यात्मिक गुरु इसे एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में संदर्भित करते है, जिससे एक सूक्ष्म ब्रहृामांड की तरह उर्जा होती है और अगर इसका रही तरीके इस्तेमाल नही किया गया तो ये कई कठिनाईयां भी पैदा कर देता है। वैसे कहा जाये तो आपको जगह जगह ऐसे शालिग्राम मिल जाते होंगे लेकिन एक असली और सही शालिग्राम को ढूंढना अत्यंत दुर्लभ है और यदि किसी को ये असली शालिग्राम मिल जाता है तो उसे इसकी अच्छे से पूछा पाठ या कठोर रीति रिवाज से रखना पड़ता है।
एक सच शायद ही सबको पता हो कि व्यक्ति चाहे किसी भी परिस्थिति में रहे उससे शालिग्राम की रोजाना पूजा करने के साथ भोग भी लगाना चाहिये। अगर कोई भी व्यक्ति ऐसे ही विधिवत पूजा करता है तो उसके भाग्य तो बदलता ही है साथ ही एक इसे शुभ संकेत का भी प्रतीक माना जाता है।
शालिग्राम के प्रकार :
ज्यादातर लोगों ने यही पता होगा कि शालिग्राम एक ही तरीका का होता है लेकिन आपको जान के हैरानी होगी कि ये कोई 10 या 12 नही बल्कि 33 प्रकार के शालिग्राम होते है। विष्णु के अवतारों के अनुसार शालिग्राम पाया जाता है। यदि गोल शालिग्राम है तो वह विष्णु का रूप गोपाल है। यदि शालिग्राम मछली के आकार का है तो यह श्री विष्णु के मत्स्य अवतार का प्रतीक है। यदि शालिग्राम कछुए के आकार का है तो यह भगवान के कच्छप और कूर्म अवतार का प्रतीक है। इसके अलावा शालिग्राम पर उभरने वाले चक्र और रेखाएं भी विष्णु के अन्य अवतारों और श्रीकृष्ण के कुल के लोगों को इंगित करती हैं। इस तरह लगभग 33 प्रकार के शालिग्राम होते हैं जिनमें से 24 प्रकार को विष्णु के 24 अवतारों से संबंधित माना गया है। माना जाता है कि ये सभी 24 शालिग्राम वर्ष की 24 एकादशी व्रत से संबंधित हैं।
शालिग्राम की पूजा :
घर में सिर्फ एक ही शालिग्राम की पूजा करना चाहिए।
विष्णु की मूर्ति से कहीं ज्यादा उत्तम है शालिग्राम की पूजा करना।
शालिग्राम पर चंदन लगाकर उसके ऊपर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
प्रतिदिन शालिग्राम को पंचामृत से स्नान कराया जाता है।
जिस घर में शालिग्राम का पूजन होता है उस घर में लक्ष्मी का सदैव वास रहता है।
शालिग्राम पूजन करने से अगले-पिछले सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
शालिग्राम सात्विकता के प्रतीक हैं। उनके पूजन में आचार-विचार की शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।